hr diaries : कुछ नौजवान जिन्होंने नयी दुनिया में कदम रखा, उलझ गये दौड़-भाग के पाटों में। जिंदगी की पेचीदगियों को उन्होंने अपनी तरह से हल करने की कोशिश की। अनेक रोचक मोड़ आते गये। वे हंसे, रोये, घबराये, लेकिन रुके नहीं। आखिर में उन्होंने पाया कि नौकरी करना कोई बच्चों का खेल नहीं! उनकी जिंदगी का एक हिस्सा उनसे हर बार सवाल करता है कि यह दौड़ यूं ही क्यों चल रही है? हमें क्यों लगता है कि हम एक जगह बंधे हुए हैं? क्या यह हमारी नियति है?